देवताओं ने च्यवन ऋषि को एक औषधि सिद्धि बताई, जो कि शिवा धात्री अप्सरा का लौकिक रूप सिद्धि थी इस अप्सरा को सिद्ध कर उसके औषधीय प्रयोगों को उन्होने जाना जिसे च्यवन ऋषि ने उपभोग किया और वे युवा हो गए। उस औषधि का नाम बाद में च्यवन हुआ जिसे आज लोग शक्ति, चेतना व स्वास्थ्य लाभ के लिए ग्रहण करते हैं। शिवा धात्री अप्सरा साधना सिद्धि से आध्यात्मिक लाभ तो है ही किन्तु भौतिक लाभ 100 प्रतिशत मिलता ही है ऐसा हो ही नही सकता कि इनकी भौतिक सिद्धि का लाभ साधक को न हो चाहे वो कैसे भी साधना करे, इसलिए यह साधना सात्विक है और प्रत्येक व्यक्ति को जरूर करनी चाहिए ।